कृष्ण शरणं मंत्र: हिंदी अर्थ
1. क्यों महत्वपूर्ण है मंत्र का अर्थ जानना?
मंत्रों का उच्चारण न केवल हमारे मन और आत्मा को शांति प्रदान करता है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी लाता है। जब हम किसी मंत्र का उच्चारण करते हैं, तो उसका सही अर्थ जानना अत्यंत आवश्यक होता है। मंत्र का अर्थ जानने से हम उसकी शक्ति और प्रभाव को सही से समझ पाते हैं। मंत्रों का सटीक अर्थ हमें आध्यात्मिक रूप से गहरे अनुभवों तक ले जाता है, जिससे हम भगवान से गहरे जुड़ाव का अनुभव कर सकते हैं। श्रीकृष्ण शरणं मंत्र, श्रीकृष्ण के प्रति पूर्ण समर्पण और आस्था का प्रतीक है, और इसका अर्थ जानने से हमारी भक्ति और प्रबल हो जाती है।
2. कृष्ण शरणं मंत्र
श्रीकृष्ण वासुदेवाय हरये परमात्मने
प्रणत: क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।
3. मंत्र का शब्दार्थ और विस्तृत अर्थ
श्रीकृष्ण वासुदेवाय
श्रीकृष्ण: भगवान श्रीकृष्ण को संदर्भित करता है, जो विष्णु के अवतार हैं।
वासुदेवाय: वासुदेव के पुत्र, श्रीकृष्ण का एक नाम है।
अर्थ: मैं भगवान श्रीकृष्ण, जो वासुदेव के पुत्र हैं, को नमन करता हूँ।
हरये परमात्मने
हरये: हरि, जो सभी पापों का नाश करने वाले हैं।
परमात्मने: जो परम आत्मा हैं, सभी जीवों के अंतर्निहित आत्मा।
अर्थ: जो परमात्मा हैं और सभी पापों का नाश करते हैं, उनको प्रणाम है।
प्रणत: क्लेश नाशाय
प्रणत: : जो उनके चरणों में झुकता है।
क्लेश: कष्ट, दुख।
नाशाय: नाश करने के लिए।
अर्थ: जो उनके चरणों में समर्पित होते हैं, उनके सभी कष्टों का नाश होता है।
गोविन्दाय नमो नमः
गोविन्दाय: गोविंद, जो गायों, पृथ्वी और इंद्रियों के संरक्षक हैं।
नमो नमः: बार-बार नमन करना।
अर्थ: मैं बार-बार गोविंद भगवान श्रीकृष्ण को नमन करता हूँ।
निष्कर्ष
इस मंत्र का सही अर्थ समझकर उसका जाप करने से हम श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित होकर उनके आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं। यह मंत्र हमें कष्टों से मुक्ति, आंतरिक शांति, और प्रभु के साथ गहरे संबंध की ओर ले जाता है।